Friday, March 26, 2010


एक सवाल


आदरणीय मुलायम सिंह जी ने कम से कम यह काम तो अच्छा कर दिया कि यह बता दिया कि संसद भवन में आने वाली स्त्रियों के विषय में उनके विचार क्या हैं। उन्होंने कहा कि जब अमीर स्त्रियां संसद में आएंगी तो उन्हें देखकर लोग सीटी बजाएंगे। वैसे उनका अपने घर के बारे में क्या विचार है? क्या वे अपने को गरीब समझने की गलती तो नहीं कर रहे? जब आज एक पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए लाखों रुपए की आवश्यकता होती है तो संसदीय चुनाव लड़ने के लिए कितने धन की आवश्यकता होगी? मुझ जैसे कम जानकारी वाले व्यक्ति को भी यह पता है कि लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिये करोड़ों रुपए की आवश्यकता होती है। चलो यह मान लेते हैं कि करोड़ों रुपए की आवश्यकता नही पड़ती, बल्कि पचास-साठ लाख रुपए की आवश्यकता होती है (अब इससे कम नहीं करने वाली)। यदि आपकी बात मानकर महिला रिजर्वेशन के भीतर जाति़गत रिजर्वेशन कर दिया जाए तो वह महिला तो फिर भी लोकसभा या राज्यसभा तक नहीं पहुंच पाएगी, जिसकी बात आप कर रहे हैं। इसका सीधा-सा कारण यह है कि वह इतना सारा पैसा कहां से लाएगी?
लब्बोलुबाव यह हुआ कि असली समस्या जातिगत रिजर्वेशन की न होकर आर्थिक है। चाहे कुछ भी कर दिया जाए, असली महिला तो फिर भी संसद तक नहीं पहुंचने वाली, जिसके लिए यह सब किया जा रहा है। लेकिन इसके बाद भी यह कहना पूरी नारी जाति का अपमान है कि जब अमीर स्त्रियां संसद में आएंगी तो उन्हें देखकर लोग सीटी बजाएंगे। स्त्री तो स्त्री है, चाहे वह अमीर हो या गरीब। मेरा माननीय नेता लोगों से यह आग्रह है कि कुछ भी कहने से पहले अपने पीछे ज़रूर देख लिया करें, क्योंकि उनके घर में भी स्त्रियां होती हैं।

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