जब देश के सबसे बड़े प्रांत (उत्तर प्रदेश) में लोग बिज़ली, पानी, सड़क, कानून व्यवस्था से जूझ रहे हों, ऐसे में कुछ लोग उस प्रदेश की मुख्यमंत्री को नोटों की माला पहनाने में ही अपना कल्याण समझ रहे हैं. कमाल की बात तो यह है कि प्रदेश की मुख्यमंत्री भी सार्वजनिक रूप से करोड़ों की माला स्वीकार करने में नहीं हिचक रही. यह तो है सत्ता दल का हाल.
अब देखिए विरोधी दलों का हाल- हर दल चिल्ला रहा है कि यह गलत हुआ. बिल्कुल ठीक है कि यह बात गलत है, लेकिन जब दूसरे दल सत्ता में आए तो वे भी यही सब करते थे. समस्या जनता को है और उसकी समस्या कोई नहीं सुनना चाहता. न सत्ता दल और न ही विरोधी दल. सब अपनी-अपनी जुगत में लगे हुए हैं।
अब देखिए न, पटना में जनता दल (यू) के राज्यसभा सदस्य भी अपने को नोटों की माला से नहीं बचा पाए. यह बात अलग है कि उनकी माला में लगे नोटों को उनके समर्थक ही लूट ले गए.
Wednesday, March 17, 2010
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